DGMO (Director General of Military Operations) क्या है? – एक विस्तृत जानकारी
भारत एक ऐसा देश है जिसकी सीमाएँ कई देशों से लगती हैं और जहां समय-समय पर सैन्य तनाव भी उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसे में सेना का संचालन और रणनीतिक निर्णय लेना एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा कार्य होता है। इस जिम्मेदारी को संभालने वाला अधिकारी होता है – DGMO, यानी Director General of Military Operations। यह पद भारतीय सेना की सैन्य संचालन शाखा का सबसे उच्च पद है, और इसकी भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम मानी जाती है।
DGMO का पूरा नाम और पद
DGMO का अर्थ होता है Director General of Military Operations। यह एक लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) रैंक का अधिकारी होता है, जो सीधे सेना प्रमुख (Chief of Army Staff) के अधीन काम करता है। यह अधिकारी नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में तैनात होता है।
DGMO की प्रमुख जिम्मेदारियाँ
DGMO का कार्य केवल आदेश देना नहीं है, बल्कि सेना के संचालन, रणनीति, संचार और निगरानी से जुड़ा हर महत्वपूर्ण कार्य उसी के नेतृत्व में होता है। इसकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं:
1. सीमाओं की निगरानी और संचालन
DGMO का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारत की सीमाओं पर तैनात सेना की गतिविधियों की निगरानी और संचालन करना है। इसमें LOC (Line of Control), LAC (Line of Actual Control), और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चल रहे सभी सैन्य ऑपरेशन शामिल होते हैं।
2. सैन्य रणनीति तैयार करना
जब देश में युद्ध जैसी स्थिति बनती है या सीमा पर तनाव होता है, तब DGMO ही युद्धनीति (war strategy) तैयार करता है। यह अधिकारी तय करता है कि सेना को किस दिशा में और कैसे कार्रवाई करनी है।
3. अन्य देशों से सैन्य संपर्क
भारत और पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) क्या है? – एक विस्तृत जानकारी के बीच हर सप्ताह एक हॉटलाइन बातचीत होती है। यह बातचीत विशेष रूप से सीमा पर किसी भी प्रकार की गोलीबारी, घुसपैठ या तनाव को रोकने के लिए की जाती है। इसी प्रकार चीन और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी संवाद की प्रक्रिया होती है।
4. आतंकी हमलों और स्पेशल ऑपरेशनों की निगरानी
DGMO विशेष अभियानों जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों की योजना बनाने और क्रियान्वयन में शामिल रहता है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी जनता को देने वाले अधिकारी भी उस समय के DGMO ही थे।
5. सेना प्रमुख को रिपोर्ट देना
DGMO सीधे सेना प्रमुख (Army Chief) को सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों और घटनाओं की रिपोर्ट देता है, और आवश्यकतानुसार आदेश लेता है। यह प्रणाली सेना के संचालन को प्रभावशाली बनाती है।
DGMO का चयन कैसे होता है?
DGMO बनने के लिए किसी भी सैन्य अधिकारी को भारतीय सेना में लंबा और उत्कृष्ट सेवाकाल पूरा करना होता है, सेना के कई उच्च और संवेदनशील पदों पर काम कर चुका होना चाहिए, सामरिक ज्ञान, नेतृत्व कौशल और युद्धनीति में गहरी समझ होनी चाहिए। यह पद केवल अत्यंत अनुभवी और विश्वसनीय अफसरों को ही मिलता है।
महत्वपूर्ण घटनाओं में DGMO की भूमिका
1. 1999 –
2. 2001 –
संसद हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम: DGMO ने सीमा पर सेना की बड़ी तैनाती का संचालन किया।
3. 2016 –
सर्जिकल स्ट्राइक: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक की घोषणा तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने की थी।
निष्कर्ष
DGMO केवल एक सैन्य पद नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ है। जब भी देश की सीमाओं पर कोई खतरा होता है, तो DGMO सबसे पहले सक्रिय होता है। उसकी रणनीति, उसकी निगरानी और उसके नेतृत्व के बिना सेना का संचालन अधूरा माना जाता है। यह पद भारतीय सेना की न केवल ताकत को दर्शाता है, बल्कि उसकी बौद्धिक और रणनीतिक क्षमता का भी प्रतीक है।
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